Directions (1-5): नीचे दिए गए प्रत्येक प्रश्न में एक अंग्रजी का वाक्य दिया गया है और उसके नीचे (a), (b), (c) और (d) क्रमांकों द्वारा हिन्दी वाक्य जो उस अंग्रजी वाक्य का हिन्दी रूपान्तर है और फिर उसके क्रमांक को उत्तर के रूप में दर्शाना है अगर कोई भी रूपान्तर सही न हो तो (e) उत्तर दीजिए, अर्थात् ‘इनमें से कोई नहीं’
Q1. He will do nothing which is unbecoming of a Government servant.
(a) वह ऐसा कोई कार्य नहीं करेगा , जो एक सरकारी सेवा के लिए असंभव हो।
(b) वह ऐसा कोई कार्य नहीं करेगा जो सरकारी कर्मचारी को लिए अशोभनीय हो।
(c) वह ऐसा कुछ नहीं करेगा जो एक सरकारी नौकर के लिए असंभव हो।
(d) वह ऐसा कभी नहीं करेगा जो एक सरकारी सेवक को लिए अशोभनीय हो।
(e) इनमें से कोई नहीं।
Q2. The direction of the official superior shall ordionarily be in writing.
(a) वरिष्ठ पदाधिकारी को निर्देश सामान्यत: लिखित में होंगे।
(b) वरिष्ठ अधिकारी को निर्देश अनिवार्यत: लिखित में होंगे।
(c) वरिष्ठ पदाधिकारी के संदेश सामान्यत: लिखित में होंगे।
(d) वरिष्ठ अधिकारी को अनुदेश सामान्यत: लिखित में होंगे।
(e) इनमें से कोई नहीं
Q3. This Officer will follow the Government’s policies regarding prevention of crime against women.
(a) यह अधिकारी महिलाओं के प्रति अपराधों की रोकथाम हेतु सरकार के अनुदेशों को लागू करेगा।
(b) यह अधिकारी महिलाओं के प्रति अपराध की रोकथाम संबंधी सरकार की नीतियों का पालन करेगा।
(c) यह अधिकारी महिलाओं के द्वारा अपराध की रोकथाम संबंधी सरकार के अनुदेशों का पालन करेगा।
(d) यह अधिकार महिलाओं के प्रति अपराध की रोकथाम संबंधी सरकार की नीतियों को लागू करेगा।
(e) इनमें से कोई नहीं
Q4. In several instances the honoraria sanctioned for honorary workers are substantial.
(a) कई मामलों में अवैज्ञानिक कार्यकर्ताओं के लिए स्वीकृत मानदेय अपर्याप्त होता है।
(b) कई मामलों में अवैतनिक सेवाओं के लिए स्वीकृत मानदेय पर्याप्त होता है।
(c) कई मामलों में अवैतनिक कार्यकर्ताओं के लिए स्वीकृत मानदेय पर्याप्त होता है।
(d) कई मामलों में अवैतनिक कार्यकर्ताओं के लिए अधिकृत मानदेय अपर्याप्त होता है।
(e) इनमें से कोई नहीं
Q5. Applicability of the conduct Rules to employees of public.
(a) सरकारी उपक्रमों में कर्मचारयों पर आचरण अधनियमों का लागू होना।
(b) सरकारी उपक्रमों में कर्मचारयिों पर चाल-चलन नियमावली का लागू होना।
(c) सरकारी अनुक्रमों में कर्मचारियों पर आचरण नियमों का लागू होना।
(d) सरकारी उपक्रमों में कर्मचारियों पर आचरण नियमों का लागू होना।
(e) इनमें से कोई नहीं
Directions (6-15): नीचे दिए गए परिच्छेद में कुछ रिक्त स्थान छोड़ दिए गए हैं तथा उन्हें प्रश्न संख्या में दर्शाया गया है। ये संख्याएँ परिच्छेद के नीचे मुद्रित हैं, और प्रत्येक के सामने (a), (b), (c), (d) और (e) विकल्प दिए गए हैं। इन पांचों में से कोई एक इस रिक्त स्थन को पूरे परिच्छेद के संदर्भ में उपयुक्त ढंग से पूरा कर देता है। आपको वह विकल्प ज्ञात करना है, और उसका क्रमांक ही उत्तर के रूप में दर्शाना है। दिए गए विकल्पों में से उपयुक्त का चयन करना है।
Q6. मनुष्य सभी वस्तुओं का प्रतिमान है। केवल उसी की प्रकृति ऐसी है जिसमें पदार्थ से लेकर परमात्मा तक के प्रकृत स्वरूप के प्रत्येक स्तर का समावेश होता है। मनुष्य अपने …………(6)………….. शरीर से अपने आप को पृथक् कर सकता है और एक …………(7)………….चेतना को प्राप्त कर सकता है जो उसके ………….(8)………… आत्म तत्व की प्रकृत दिशा है। अनवरत अभ्यास एवं ………..(9)…………. के द्वारा मनुष्य चाहे तो स्वयं को अपनी विशुद्ध सत्ता तक, अथवा उस कर्ता तक जो अपने को सबसे ………….(10)……….. करता है, ले जा सकता है और उस व्यवधान हीनता तथा …………(11)…………. की स्थिति में पहुंच सकता है, जिसमें जाकर सब ………….(12)………… समाप्त हो जाते हैं। …………(13)……….. धर्म का यह मूलभूत सत्य है कि हमारी आत्मा अपने ………….(14)………….. रूप में परमात्मा ही है। मनुष्य का लक्ष्य है आत्मा के इस परमात्म रूप का ………….(15)………. करे और प्रबुद्ध होकर अपने को वही समझने लगे। यह समझना मनुष्य को ‘एकोऽहं बहुस्याम्’ की स्थिति में पहुंचा देगा।
(a) पंचभौतिक
(b) आधिभौतिक
(c) आध्यात्मिक
(d) आधिदैविक
(e) इनमें से कोई नहीं
Q7. मनुष्य सभी वस्तुओं का प्रतिमान है। केवल उसी की प्रकृति ऐसी है जिसमें पदार्थ से लेकर परमात्मा तक के प्रकृत स्वरूप के प्रत्येक स्तर का समावेश होता है। मनुष्य अपने …………(6)………….. शरीर से अपने आप को पृथक् कर सकता है और एक …………(7)………….चेतना को प्राप्त कर सकता है जो उसके ………….(8)………… आत्म तत्व की प्रकृत दिशा है। अनवरत अभ्यास एवं ………..(9)…………. के द्वारा मनुष्य चाहे तो स्वयं को अपनी विशुद्ध सत्ता तक, अथवा उस कर्ता तक जो अपने को सबसे ………….(10)……….. करता है, ले जा सकता है और उस व्यवधान हीनता तथा …………(11)…………. की स्थिति में पहुंच सकता है, जिसमें जाकर सब ………….(12)………… समाप्त हो जाते हैं। …………(13)……….. धर्म का यह मूलभूत सत्य है कि हमारी आत्मा अपने ………….(14)………….. रूप में परमात्मा ही है। मनुष्य का लक्ष्य है आत्मा के इस परमात्म रूप का ………….(15)………. करे और प्रबुद्ध होकर अपने को वही समझने लगे। यह समझना मनुष्य को ‘एकोऽहं बहुस्याम्’ की स्थिति में पहुंचा देगा।
(a) विद्युत
(b) विषम
(c) विरूद्ध
(d) विशुद्ध
(e) इनमें से कोई नहीं
Q8. मनुष्य सभी वस्तुओं का प्रतिमान है। केवल उसी की प्रकृति ऐसी है जिसमें पदार्थ से लेकर परमात्मा तक के प्रकृत स्वरूप के प्रत्येक स्तर का समावेश होता है। मनुष्य अपने …………(6)………….. शरीर से अपने आप को पृथक् कर सकता है और एक …………(7)………….चेतना को प्राप्त कर सकता है जो उसके ………….(8)………… आत्म तत्व की प्रकृत दिशा है। अनवरत अभ्यास एवं ………..(9)…………. के द्वारा मनुष्य चाहे तो स्वयं को अपनी विशुद्ध सत्ता तक, अथवा उस कर्ता तक जो अपने को सबसे ………….(10)……….. करता है, ले जा सकता है और उस व्यवधान हीनता तथा …………(11)…………. की स्थिति में पहुंच सकता है, जिसमें जाकर सब ………….(12)………… समाप्त हो जाते हैं। …………(13)……….. धर्म का यह मूलभूत सत्य है कि हमारी आत्मा अपने ………….(14)………….. रूप में परमात्मा ही है। मनुष्य का लक्ष्य है आत्मा के इस परमात्म रूप का ………….(15)………. करे और प्रबुद्ध होकर अपने को वही समझने लगे। यह समझना मनुष्य को ‘एकोऽहं बहुस्याम्’ की स्थिति में पहुंचा देगा।
(a) अनिवासी
(b) अविकारी
(c) अविनीत
(d) अविघ्नम्
(e) इनमें से कोई नहीं
Q9. मनुष्य सभी वस्तुओं का प्रतिमान है। केवल उसी की प्रकृति ऐसी है जिसमें पदार्थ से लेकर परमात्मा तक के प्रकृत स्वरूप के प्रत्येक स्तर का समावेश होता है। मनुष्य अपने …………(6)………….. शरीर से अपने आप को पृथक् कर सकता है और एक …………(7)………….चेतना को प्राप्त कर सकता है जो उसके ………….(8)………… आत्म तत्व की प्रकृत दिशा है। अनवरत अभ्यास एवं ………..(9)…………. के द्वारा मनुष्य चाहे तो स्वयं को अपनी विशुद्ध सत्ता तक, अथवा उस कर्ता तक जो अपने को सबसे ………….(10)……….. करता है, ले जा सकता है और उस व्यवधान हीनता तथा …………(11)…………. की स्थिति में पहुंच सकता है, जिसमें जाकर सब ………….(12)………… समाप्त हो जाते हैं। …………(13)……….. धर्म का यह मूलभूत सत्य है कि हमारी आत्मा अपने ………….(14)………….. रूप में परमात्मा ही है। मनुष्य का लक्ष्य है आत्मा के इस परमात्म रूप का ………….(15)………. करे और प्रबुद्ध होकर अपने को वही समझने लगे। यह समझना मनुष्य को ‘एकोऽहं बहुस्याम्’ की स्थिति में पहुंचा देगा।
(a) संशय
(b) संभव
(c) संयम
(d) समय
(e) इनमें से कोई नहीं
Q10. मनुष्य सभी वस्तुओं का प्रतिमान है। केवल उसी की प्रकृति ऐसी है जिसमें पदार्थ से लेकर परमात्मा तक के प्रकृत स्वरूप के प्रत्येक स्तर का समावेश होता है। मनुष्य अपने …………(6)………….. शरीर से अपने आप को पृथक् कर सकता है और एक …………(7)………….चेतना को प्राप्त कर सकता है जो उसके ………….(8)………… आत्म तत्व की प्रकृत दिशा है। अनवरत अभ्यास एवं ………..(9)…………. के द्वारा मनुष्य चाहे तो स्वयं को अपनी विशुद्ध सत्ता तक, अथवा उस कर्ता तक जो अपने को सबसे ………….(10)……….. करता है, ले जा सकता है और उस व्यवधान हीनता तथा …………(11)…………. की स्थिति में पहुंच सकता है, जिसमें जाकर सब ………….(12)………… समाप्त हो जाते हैं। …………(13)……….. धर्म का यह मूलभूत सत्य है कि हमारी आत्मा अपने ………….(14)………….. रूप में परमात्मा ही है। मनुष्य का लक्ष्य है आत्मा के इस परमात्म रूप का ………….(15)………. करे और प्रबुद्ध होकर अपने को वही समझने लगे। यह समझना मनुष्य को ‘एकोऽहं बहुस्याम्’ की स्थिति में पहुंचा देगा।
(a) प्रतिबिम्बित
(b) प्रतिष्ठित
(c) विशिष्ट
(d) परिचालित
(e) इनमें से कोई नहीं
Q11. मनुष्य सभी वस्तुओं का प्रतिमान है। केवल उसी की प्रकृति ऐसी है जिसमें पदार्थ से लेकर परमात्मा तक के प्रकृत स्वरूप के प्रत्येक स्तर का समावेश होता है। मनुष्य अपने …………(6)………….. शरीर से अपने आप को पृथक् कर सकता है और एक …………(7)………….चेतना को प्राप्त कर सकता है जो उसके ………….(8)………… आत्म तत्व की प्रकृत दिशा है। अनवरत अभ्यास एवं ………..(9)…………. के द्वारा मनुष्य चाहे तो स्वयं को अपनी विशुद्ध सत्ता तक, अथवा उस कर्ता तक जो अपने को सबसे ………….(10)……….. करता है, ले जा सकता है और उस व्यवधान हीनता तथा …………(11)…………. की स्थिति में पहुंच सकता है, जिसमें जाकर सब ………….(12)………… समाप्त हो जाते हैं। …………(13)……….. धर्म का यह मूलभूत सत्य है कि हमारी आत्मा अपने ………….(14)………….. रूप में परमात्मा ही है। मनुष्य का लक्ष्य है आत्मा के इस परमात्म रूप का ………….(15)………. करे और प्रबुद्ध होकर अपने को वही समझने लगे। यह समझना मनुष्य को ‘एकोऽहं बहुस्याम्’ की स्थिति में पहुंचा देगा।
(a) एकपद
(b) एकत्व
(c) एकतरा
(d) उपेन्द्र
(e) इनमें से कोई नहीं
Q12. मनुष्य सभी वस्तुओं का प्रतिमान है। केवल उसी की प्रकृति ऐसी है जिसमें पदार्थ से लेकर परमात्मा तक के प्रकृत स्वरूप के प्रत्येक स्तर का समावेश होता है। मनुष्य अपने …………(6)………….. शरीर से अपने आप को पृथक् कर सकता है और एक …………(7)………….चेतना को प्राप्त कर सकता है जो उसके ………….(8)………… आत्म तत्व की प्रकृत दिशा है। अनवरत अभ्यास एवं ………..(9)…………. के द्वारा मनुष्य चाहे तो स्वयं को अपनी विशुद्ध सत्ता तक, अथवा उस कर्ता तक जो अपने को सबसे ………….(10)……….. करता है, ले जा सकता है और उस व्यवधान हीनता तथा …………(11)…………. की स्थिति में पहुंच सकता है, जिसमें जाकर सब ………….(12)………… समाप्त हो जाते हैं। …………(13)……….. धर्म का यह मूलभूत सत्य है कि हमारी आत्मा अपने ………….(14)………….. रूप में परमात्मा ही है। मनुष्य का लक्ष्य है आत्मा के इस परमात्म रूप का ………….(15)………. करे और प्रबुद्ध होकर अपने को वही समझने लगे। यह समझना मनुष्य को ‘एकोऽहं बहुस्याम्’ की स्थिति में पहुंचा देगा।
(a) उद्वेग
(b) उपेन्द्र
(c) उदक
(d) उत्थान
(e) इनमें से कोई नहीं
Q13. मनुष्य सभी वस्तुओं का प्रतिमान है। केवल उसी की प्रकृति ऐसी है जिसमें पदार्थ से लेकर परमात्मा तक के प्रकृत स्वरूप के प्रत्येक स्तर का समावेश होता है। मनुष्य अपने …………(6)………….. शरीर से अपने आप को पृथक् कर सकता है और एक …………(7)………….चेतना को प्राप्त कर सकता है जो उसके ………….(8)………… आत्म तत्व की प्रकृत दिशा है। अनवरत अभ्यास एवं ………..(9)…………. के द्वारा मनुष्य चाहे तो स्वयं को अपनी विशुद्ध सत्ता तक, अथवा उस कर्ता तक जो अपने को सबसे ………….(10)……….. करता है, ले जा सकता है और उस व्यवधान हीनता तथा …………(11)…………. की स्थिति में पहुंच सकता है, जिसमें जाकर सब ………….(12)………… समाप्त हो जाते हैं। …………(13)……….. धर्म का यह मूलभूत सत्य है कि हमारी आत्मा अपने ………….(14)………….. रूप में परमात्मा ही है। मनुष्य का लक्ष्य है आत्मा के इस परमात्म रूप का ………….(15)………. करे और प्रबुद्ध होकर अपने को वही समझने लगे। यह समझना मनुष्य को ‘एकोऽहं बहुस्याम्’ की स्थिति में पहुंचा देगा।
(a) आस्थापित
(b) आदित्य
(c) आतित्थम्
(d) आध्यात्मिक
(e) इनमें से कोई नहीं
Q14. मनुष्य सभी वस्तुओं का प्रतिमान है। केवल उसी की प्रकृति ऐसी है जिसमें पदार्थ से लेकर परमात्मा तक के प्रकृत स्वरूप के प्रत्येक स्तर का समावेश होता है। मनुष्य अपने …………(6)………….. शरीर से अपने आप को पृथक् कर सकता है और एक …………(7)………….चेतना को प्राप्त कर सकता है जो उसके ………….(8)………… आत्म तत्व की प्रकृत दिशा है। अनवरत अभ्यास एवं ………..(9)…………. के द्वारा मनुष्य चाहे तो स्वयं को अपनी विशुद्ध सत्ता तक, अथवा उस कर्ता तक जो अपने को सबसे ………….(10)……….. करता है, ले जा सकता है और उस व्यवधान हीनता तथा …………(11)…………. की स्थिति में पहुंच सकता है, जिसमें जाकर सब ………….(12)………… समाप्त हो जाते हैं। …………(13)……….. धर्म का यह मूलभूत सत्य है कि हमारी आत्मा अपने ………….(14)………….. रूप में परमात्मा ही है। मनुष्य का लक्ष्य है आत्मा के इस परमात्म रूप का ………….(15)………. करे और प्रबुद्ध होकर अपने को वही समझने लगे। यह समझना मनुष्य को ‘एकोऽहं बहुस्याम्’ की स्थिति में पहुंचा देगा।
(a) वार्तिक
(b) वार्षिक
(c) वास्तविक
(d) वाचिक
(e) इनमें से कोई नहीं
Q15. मनुष्य सभी वस्तुओं का प्रतिमान है। केवल उसी की प्रकृति ऐसी है जिसमें पदार्थ से लेकर परमात्मा तक के प्रकृत स्वरूप के प्रत्येक स्तर का समावेश होता है। मनुष्य अपने …………(6)………….. शरीर से अपने आप को पृथक् कर सकता है और एक …………(7)………….चेतना को प्राप्त कर सकता है जो उसके ………….(8)………… आत्म तत्व की प्रकृत दिशा है। अनवरत अभ्यास एवं ………..(9)…………. के द्वारा मनुष्य चाहे तो स्वयं को अपनी विशुद्ध सत्ता तक, अथवा उस कर्ता तक जो अपने को सबसे ………….(10)……….. करता है, ले जा सकता है और उस व्यवधान हीनता तथा …………(11)…………. की स्थिति में पहुंच सकता है, जिसमें जाकर सब ………….(12)………… समाप्त हो जाते हैं। …………(13)……….. धर्म का यह मूलभूत सत्य है कि हमारी आत्मा अपने ………….(14)………….. रूप में परमात्मा ही है। मनुष्य का लक्ष्य है आत्मा के इस परमात्म रूप का ………….(15)………. करे और प्रबुद्ध होकर अपने को वही समझने लगे। यह समझना मनुष्य को ‘एकोऽहं बहुस्याम्’ की स्थिति में पहुंचा देगा।
(a) उद्योग
(b) अन्वेषण
(c) सर्वेक्षण
(d) निरर्थक
(e) इनमें से कोई नहीं
Solutions
S1. Ans.(b)
S2. Ans.(a)
S3. Ans.(b)
S4. Ans.(c)
S5. Ans.(d)
S6. Ans. (a)
S7. Ans. (d)
S8. Ans. (b)
S9. Ans. (c)
S10. Ans. (a)
S11. Ans. (b)
S12. Ans. (a)
S13. Ans. (d)
S14. Ans. (c)
S15. Ans. (b)